Sunday, January 10, 2010

स्ट्रिन्गेर की आत्मकथा-1

दोस्तों आज में स्ट्रिन्गेर रिपोर्टर की आत्मा कथा शुरू कर रहा हूँ। स्ट्रिन्गेर रिपोर्टर यानी पत्रकारिता की पहली सीढ़ी। जनता और जनमत के सबसे करीब। सीधे तौर पर देश दुनिया से जुड़ा हुआ रिपोर्टर । स्ट्रिन्गेर रिपोर्टर कभी द्रविंग रूम पत्रकारिता नहीं करता । हर एअक खबर के लिए पगडंडियों पर अपनी चप्पलें घिसता है। पसीना बहा बहा कर खबरें जोड़ता है... जिसका सरोकार होता है आम आदमी से ... गरीबी रेखा के निचे रहने वालों से... समाज के उपेक्षित तबके से... मजदूरों से... जो की आज के समय में मीडिया के फोकस में नहीं हैं... मीडिया के फोकस में है... सनसनी मचा देने वाली खबरें... और आम आदमी खबर नहीं बनते... आम आदमी तब तक खबर नहीं बनते जब तक कि वे सामूहिक आत्महत्या नहीं करते... नक्सालियों द्वारा नरसंहार नहीं होता... और जब जंगलों की खाक छान कर खबर की जरुरत होती है... याद किये जातें हैं स्ट्रिन्गेर...
कैसे बनता है स्ट्रिन्गेर और क्या क्या झेलता है एक स्ट्रिन्गेर ... अगले अंक में....